लॉकडाउन के चलते बाल संप्रेषण गृहों में रहने वाले बाल अपचारियों को घर जाने का मौका मिल गया। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक प्रदेश में मामूली अपराधों (विधि विवादित बच्चे) की वजह से संप्रेषण गृह में रहने वाले 44 बाल अपचारी बेल देकर घर भेज दिए गए है। इन्हें अपराधों से दूर रहने और लॉकडाउन में घर रहने की समझाईश दी गई।
भोपाल के 11 बाल अपचारी शामिल है, जो संप्रेषण गृह से घर चले गए है। प्रदेश में 18 बाल संप्रेषण गृह है। इनमें विभिन्न मामलों में 352 बच्चों को रखा हुआ है। संप्रेषण गृह में 26 मार्च के बाद से अब तक 44 बाल अपचारी जमानत पर छोड़े गए हैं। इसके लिए मामूली अपराध वालों को चिह्नित किया था। हाईकोर्ट की किशोर न्याय समिति की मानिटरिंग में जमानत की कार्रवाई चल रही है।
बच्चों में डिप्रेशन दूर करेंगे काउंसलर्स
प्रदेश में समेकित बाल संरक्षण योजना के अंतर्गत बाल देखरेख संस्थाओं में हजारों बच्चों को रहने का ठिकाना मिला हुआ है। लॉकडाउन के समाचार देखने से बच्चों में मानसिक तनाव के अलावा गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ गया है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के चलते जूम वीडियो ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया गया है। यूनिसेफ एवं निमहेन्स बेंगलुरू से मिलकर महिला बाल विकास विभाग ने प्रत्येक जिले में वीडियो से काउंसलर्स को ट्रेंड किया है। महिला एवं बाल विकास के संयुक्त संचालक विशाल नाडकर्णी ने बताया कि ये काउंसलर्स बाल देखरेख संस्थाओं में बच्चों को मोबाइल और वीडियो से ऑनलाइन डिप्रेशन से बचने और व्यस्त रखना सिखाएंगे। सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जा रहा है। संस्था के बच्चों से मुलाकात पर रोक लगा दी गई है।